Saturday, February 25, 2012

हज़ार साल में: वर्नर वोन हेइदेन्स्तम

वर्नर वोन हेइदेन्स्तम की एक कविता
(अनुवाद: अनुपमा पाठक)

सुदूर अंतरिक्ष में एक कम्पन, एक स्मृति
उद्यान की, जो चमक उठी ऊँचे पेड़ों के बीच से.
मेरा नाम क्या? मैं कौन? मैं क्यूँ रोया?
सब भूल गया हूँ मैं, और एक तूफ़ानी संगीत की तरह
सबकुछ भाग रहा है दूर संसार से, चक्रवत.

Om tusen år


En dallring i en fjärran rymd, ett minne
av gården, som sken fram bland höga träd.
Vad hette jag? Vem var jag? Varför grät jag?
Förgätit har jag allt, och som en stormsång
allt brusar bort bland världarna, som rulla.

-Verner Von Heidenstam

2 comments:

  1. वाह, आज तो आपने खजाना ही लुटा दिया है स्वीडिश कविताओं का. सब एक से बढ़कर एक. बहुत शुक्रिया!

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  2. सब आपकी प्रेरणा और आशीष का प्रतिफल है!
    आभार!!!

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