Friday, July 13, 2012

जीना: योरान ग्रेइदर

योरान ग्रेइदर की एक कविता
(अनुवाद: अनुपमा पाठक)


जिस समय में मैं रहता था उससे लगभग गायब हो गया.

उनके मध्य हो गया शामिल,
महसूस हुआ मस्तिष्क का तीव्रता से फटना.

जैसा कि होता है बड़ी व्याधि के पहले.

 Leva

Försvann nästan i tiderna jag levde i.

Gick mitt i dem,
kände huvudet blixtra blixtra.

Som före en stor sjukdom.

-Göran Greider

1 comment:

  1. वाह! सुन्दर बात! इस ख्याल पर कृष्ण बिहारी नूर ने लिखा है:

    इतने हिस्सों में बँट गया हूँ मैं,
    मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं!

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