Saturday, August 15, 2015

इंसान: गुन्नर ब्योर्लिंग

गुन्नर ब्योर्लिंग  की  एक कविता
(अनुवाद : अनुपमा पाठक )

इंसान
जिनके साथ संवाद हो सके
जिनके साथ लड़ा जा सके
जिन्हें निहारा जा सके और जिनके साथ हुआ जा सके
जिनसे खुशियाँ बांटी जा सकें
जिनपर भरोसा किया जा सके
जिनकी राह देखी जाए या
जिन्हें याद किया जाये
और जिनसे प्रेम किया जा सके

Att människa

Att människa
att tala med
att strida med
att se och vara med
att glädjas
och att lita med
att längta eller
sakna
o att älska

--Gunnar Björling

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